Wednesday, November 11, 2009

बस यूं ही


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी


नीचे की पोस्ट पढे. यह तो बस एक ट्राई है.

Tuesday, November 10, 2009

मैं भी चैपलिन


माँ क़िसी से फोन पर बात कर रही हैं.
किसी बात पर उधर से कहते हैं,
तेरे हाथ में है ही क्या ?
माँ कहती हैं,
हाँ! मेरे हाथ में है ही क्या ?
मैंने कहा,

अरे! आपके हाथ में फोन है,
और रेखायें भी.